ट्रांजिस्टर क्या हैं और कैसे काम करता हैं ? जानिए पूरा जानकारी

हमने अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में देखा ट्रांजिस्टर का उपयोग होते हुए जिसे देखने के बाद हमारे मन में एक ही सवाल होता हैं। ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में क्यों किया जाता हैं ? इसलिए आज की इस लेख में हम सब जानेगे ट्रांजिस्टर क्या हैं और कैसे काम करता हैं? Transistor In Hindi तो आइए जानते हैं बिना किसी समय बिताए ट्रांजिस्टर क्या हैं और कैसे काम करता हैं ?

ट्रांजिस्टर ने शुरुआती इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले भारी और बिजली की खपत वाले वैक्यूम ट्यूबों को बदल दिया है। वे आकार में छोटे हैं, कम बिजली की खपत करते हैं, और उच्च विश्वसनीयता और प्रदर्शन प्रदान करते हैं।

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ट्रांजिस्टर क्या हैं ? 

एक ट्रांजिस्टर एक अर्धचालक उपकरण है जो इलेक्ट्रॉनिक संकेतों को बढ़ा या बदल सकता है। यह आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट का एक मूलभूत निर्माण खंड है और 1947 के दशक के अंत में इसके आविष्कार के बाद से इसने इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। अगर इसे अपनी भाषा में समझा जाए तो,

ट्रांजिस्टर एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक कोंपनेन्ट होता हैं जो सभी इलेक्ट्रिक सर्किट में इस्तेमाल किया जाता हैं। ट्रांजिस्टर अर्द्धचालक पदार्थ होता हैं। जिसको बनाने के लिए ज्यादा तर सिलिकॉन और जर्मेनियम का इस्तेमाल किया जाता हैं । ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक सर्किट में इसलिए किया जाता हैं। क्यों की ट्रांजिस्टर स्विच की तरह काम करता हैं।

*बिना ट्रांजिस्टर के एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को तैयार करना संभव नहीं होता हैं।

ट्रांजिस्टर कैसे काम करता हैं ?

जैसे की मैंने आपको बताया बिना ट्रांजिस्टर के किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को तैयार नहीं किया जा सकता हैं। इसलिए यहा पर सवाल उठता हैं, ट्रांजिस्टर क्या काम करता हैं ? जिसको इस्तेमाल न करने से इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को तैयार नहीं किया जा सकता हैं ?

तो हम आपको बता दे ट्रांजिस्टर इलेक्ट्रॉनिक का एक मात्र ऐसा पार्ट होता हैं। जो पावर (करंट ) को बंद और चालू रखने का काम करता हैं। ट्रांजिस्टर का उपयोग मात्र स्विच की तरह नहीं किया जाता है बल्कि अलग-अलग जगहों पर भी किया जाता हैं इसका सबसे आसान उदाहरण हैं > रेगुलेटर , सिग्नल भेजना ,आसिलेटर आदि

ट्रांजिस्टर का आविष्कार कब और किसने किया ?

जब पहले ट्रांजिस्टर नहीं था तब ट्रांजिस्टर की जगह पर Diode का इस्तेमाल किया जाता था | जिसके कारण एक काम को करने के लिए बहुत सारी Diode का इस्तेमाल करना पड़ता था

तब इस समस्या का संधान निकालने के लिए जर्मन के भौतिकी विज्ञानिक यूलियस एडगर लिलियनफेल्ड ने 1925 में फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (FET) कनाडा में पेटेंट के लिए एक प्राथना-पत्र दिया लेकिन किसी तरह से सबूत न होने के कारण उसे रद्द कर दिया गया | लेकिन इस इलेक्ट्रॉनिक दुनिया को बदल देने वाले ट्रांजिस्टर का आविष्कार 1947 में अमेरिकी जॉन बर्डीन , वॉटर ब्रटेन और विलियम शॉकले ने बेल्ल लैब मे कर दिया।

ट्रांजिस्टर के कितने प्रकार होते हैं ? 

ट्रांजिस्टर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं ?

  1. NPN ट्रांजिस्टर
  2. PNP ट्रांजिस्टर

1. N_P_N ट्रांजिस्टर> N_P_N ट्रांजिस्टर उस ट्रांजिस्टर को कहते हैं, जिसमे P प्रकार की परत दोनो N प्रकार की परत के बीच में होती हैं तब हम इसे NPN ट्रांजिस्टर कह सकते हैं।

2. P_N_P ट्रांजिस्टर> P_N_P ट्रांजिस्टर उस ट्रांजिस्टर को कहते हैं, जिसमे N प्रकार की परत दोनो P प्रकार की परत के बीच में होती हैं।

नोट > जहा पर P का मतलब हैं Positive और N का मतलब हैं Negative

ट्रांजिस्टर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में कैसे काम करता हैं ?

ट्रांजिस्टर एक प्रकार का सेमीकंडक्टर डिवाइस होता है जो इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इस्तेमाल किया जाता है। यह इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स को एंप्लीफाई या स्विच करने के लिए उपयोग किया जाता है।

ट्रांजिस्टर के तीन प्रमुख भाग होते हैं: एमिटर, बेस और कलेक्टर। इन तीनों के बीच एक पतला सेमीकंडक्टर लेयर होती है जो बेस कहलाती है। ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉन्स की चाल सीधी नहीं होती है। इससे इसके काम का समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन हम उसको सरल तरीके से समझ सकते हैं।

जब बेस पर थोड़ी सी वोल्टेज या करंट लगाई जाती है, तो उसमें इलेक्ट्रॉन्स का आवेश होता है जो उस लेयर में फंस जाते हैं। इससे लेयर का अंतरिक्ष छोटा हो जाता है, जिससे कलेक्टर तक जाने वाले इलेक्ट्रॉन का प्रवाह बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल बेस पर लगाए गए वोल्टेज या करंट के आधार पर ट्रांजिस्टर काम करता है। अगर इसे आसान भाषा में समझा जाए तो,

ट्रांजिस्टर की तीन टर्मिनल (टांग) होते हैं, जिसे हम सब E_B_C कहा कहते हैं ट्रांजिस्टर अपना काम इन्ही तीनों टर्मिनल से एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में किया करता हैं। जहां पर E का मतलब Emitter , B का मतलब हैं Base और C का मतलब होता हैं Collecter

EBC Full Form

  1. E = Emitter
  2. B = Base
  3. C = Collector

N_P_N और P_N_P ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है ?

N_P_N ट्रांजिस्टर में Positive बीच में होती हैं जबकि Negetive दोनों तरफ होती हैं, इसलिए N_P_N ट्रांजिस्टर में पावर (इलेक्ट्रान ) Collector से Emitter को प्रवाह होती हैं। जबकि P_N_P मे करंट Emitter से Collecter के बीच प्रवाह होती हैं, इस मे Negetive दोनो Positive के बीच में होती हैं।

महत्वपूर्ण जानकारी > हमे उम्मीद है की आपको अच्छे से समझ आ गया होगा ट्रांजिस्टर (Transistor) क्या हैं और कैसे काम करता हैं।

ट्रांजिस्टर इस्तेमाल करने से क्या फ़ायदा हैं ?

ट्रांजिस्टर एक अहम् विद्युत उपकरण है जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल किया जाता है। ट्रांजिस्टर विद्युत संचार, डिजिटल लॉजिक चालक तंत्र, ध्वनि उत्पादन उपकरणों, दोलन का नियंत्रण आदि में इस्तेमाल होते हैं।

कुछ फायदे निम्नलिखित हैं:

  1. आवश्यक बिजली की मात्रा कम होती है: ट्रांजिस्टर विद्युत के संचार को नियंत्रित करता है और आवश्यक बिजली की मात्रा को कम करता है। इसलिए, उन्हें अर्ध-निर्मित उपकरणों में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
  2. डिजिटल लॉजिक चालक तंत्र: ट्रांजिस्टर को एक अलग धारणा में उपयोग करते हुए डिजिटल लॉजिक चालक तंत्र बनाया जा सकता है। इससे कंप्यूटर, मोबाइल फ़ोन, टेलीविजन आदि का निर्माण किया जा सकता है।
  3. संचार तंत्रों में इस्तेमाल होते हैं: ट्रांजिस्टर संचार तंत्रों में उपयोग किए जाते हैं, जो विद्युत संचार तंत्रों को बढ़ावा देते हैं।

कुछ महटवपूर्ण कीवर्ड:

  1. सेमीकंडक्टर डिवाइस: ट्रांजिस्टर एक प्रकार का सेमीकंडक्टर डिवाइस होता है।
  2. इलेक्ट्रॉनिक सर्किट: ट्रांजिस्टर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इस्तेमाल किया जाता है जो सिग्नल को एंप्लीफाई या स्विच करता है।
  3. तीन प्रमुख भाग: ट्रांजिस्टर में तीन प्रमुख भाग होते हैं – एमिटर, बेस और कलेक्टर।
  4. बिजली का प्रवाह नियंत्रण: ट्रांजिस्टर का प्रमुख उद्देश्य बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करना होता है।
  5. बिपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर (BJT): बिपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर (BJT) एक प्रकार का ट्रांजिस्टर होता है जो एंप्लीफायर और स्विचिंग एप्लीकेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  6. फ़ील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर (FET): फ़ील्ड इफ़ेक्ट ट्रांजिस्टर (FET) एक प्रकार का ट्रांजिस्टर होता है जो एंप्लीफायर, स्विचिंग और डिजिटल लॉजिक सर्किट्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

FAQs :

#1. Transistor क्या हैं ?

Ans; ट्रांजिस्टर एक अर्द्धचालक पदार्थ हैं। जो सभी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इस्तेमाल किया जाता हैं।

#2. Transistor कैसे काम करता हैं ?

Ans; ट्रांजिस्टर के तीन टर्मिनल होते हैं इसलिए ट्रांजिस्टर एक लेक्ट्रॉनिक सर्किट में अपना काम इन्ही तीनों टर्मिनल से किया करता हैं।

#3. Transistor के कितने प्रकार होते हैं ?

Ans; ट्रांजिस्टर के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं।

  • N_P_N ट्रांजिस्टर
  • P_N_P ट्रांजिस्टर

#4. Transistor का आविष्कार किसने किया ?

Ans; Transistor का आविष्कार तीन अमेरिकी वैज्ञानिक अमेरिकी जॉन बर्डीन , वॉटर ब्रटेन और विलियम शॉकले ने किया।

#5. Transistor का आविष्कार कब हुआ ?

Ans ; Transistor का आविष्कार सन 1947 मे किया गया।

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